इक ओंकार सैट नाम करता पुरख, निर्भ-अ-ओ निर्वैर अकाल मूरत , अजूनी सैब्भं गुर परसाद जप। आड़ सच जुगाड़ सच। है भी सच नानक होसी भी सच। सोची सोच ना होव-अ-ई जे सोची लाख वार. छुपी चुप ना होव-अ-ई जे ला-इ रहा लिव तार। भूखी-आ भूख ना उतरी जे बन्ना पुरी-आ भार। सहस सी-आन्पा लाख होह टा इक ना चलाई नाल.
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