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"क़र्ज़ में डूबे लोगों के लिए आत्महत्या एक ऐसा इंश्योरेन्स है जिसका प्रीमियम भरने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती.
हुआ यों होगा कि आपने मार्केट से दो लाख रुपये उठाये होंगे और उसको शराब जुएँ या और अय्याशियों में खर्च दिया होगा. रुपये खर्च करना सांस लेने से भी ज़्यादा आसान बना दिया गया है अब. चुकता करना मौत से भी मुश्किल.
सबूत : आत्महत्या !
तो आपने झूठ ही लिखा होगा कि आपका पैसा मार्केट में डूब गया. भला मार्केट का पैसा मार्केट में डूब सकता है?
गणितीय आधार पर नहीं. 2-2=0
अर्थशास्त्र के आधार पर भी नहीं. उसके आधार पर तो पैसा डूबता नहीं घूमता है. जितना घूमता है उतना बढ़ता है.
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