Sunday, April 1, 2012

यह दुर्लभ हास्य रचना मेरी नहीं है, बल्कि कहीं से मिली है. यह मुझे इतनी अच्छी लगी कि सोचा क्यों न इसे आप लोगों को भी दिखाऊँ...

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