Saturday, May 16, 2009


आशा निराशा व्यापर में मेरे पहले छे साल बेहद निराशाजनक रहे ,
ऐसे कई मौके आये तब मैंने सोचा की व्यापर मेरे बस की बात नहीं है मुझे कहीं नौकरी कर लेनी चाहिए ,
फिर मैंने सोचा अगर ढंग की नौकरी ही करनी ही करनी अपनीही क्यों करू !

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