Saturday, May 16, 2009


अगेर मनुस्श से पाप हो भी जाता है ,
उससे मुक्ति के लिय जरुरी है की उसे न दौहूरय * और न चिप्पाय *,
पाप का संचय ही दुखो का मूल है !!

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