Friday, December 23, 2011


सुबह की पहली किरण ने पूछा-
तुम कौन हो?
मैंने कहा, मैं भोर हूँ,
मैं आशा हूँ,
नव जीवन की अभिलाषा हूँ|

सुबह की पहली किरण ने पूछा-
और क्या हो?
मैंने कहा, मैं कुसुम हूँ,
मैं खुशबू हूँ,
मुरझाए कल की कली हूँ,
जो आज फूल बन कर खिली हूँ|

सुबह की पहली किरण ने पूछा-
और क्या हो?
मैंने कहा, नई नवेली दुल्हन हूँ-
प्रेयसी भी हूँ,
प्रेम के गीत गाती हूँ|

सुबह की पहली किरण ने कुछ ना पूछा-
बस कहा- चल तुम और मैं सखी बन
प्यार की, अनुराग की रौशनी फैलाएँ
और नव-जीवन का गीत गाएँ .....

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