Monday, March 5, 2012

इस चालाक दुनिया में
''माँ'' के लिए
सिर्फ एक दिन !
बाकी के
तीन सौ चौसठ दिन
माँ कहाँ है ??!!
दूसरों के वहां
झाड़ू-पोंछा-बर्तन
करती हुयी!,
बाप की बोतल के लिए
पैसा जुटाती हुयी !,
गोद में बच्चा
ओर
सर पर
तगारी उठाये हुए
दो वक़्त की रोटी का
जुगाड़ करती हुयी !,
पति से सताई हई......,
बेटों से तिरस्कृत.......,
बहुओं से डरी हुयी......,
शहर से दूर
किसी गाँव में
अपनी जिंदगी के दिन
अभावो,
तन्हाईयों,
में
अपने परिवार के लिए
दुआएं करती
काटती हुयी..''माँ''......!!!
"" ए माँ
इस चालाक दुनिया का
आज के दिन
तुझे सलाम ""-----

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