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Ram K Khanna
Saturday, January 21, 2012
प्रीति कविता ज़िन्दगी की गर्विता रानी नही है
मूक भाषा प्रीति की, कुछ बोलती बानी नहीँ है
प्रीति कह सकते किसी उन्मुक्त सी उठती लहर को
बाँध लो जिसको तटोँ मे प्रीति वह पानी नही है। ...
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