skip to main
|
skip to sidebar
Ram K Khanna
Saturday, January 21, 2012
शुभ संध्या मित्रो..................
ठोकरे खा के ही इंसा संभलता है,
और अपने वजूद में ढलता है,
जो गिरकर संभल न पाए वो इंसा ही क्या,
चीटी को भी गिर गिरके ही मुकाम मिलता है..
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Followers
Blog Archive
▼
2012
(43)
►
July
(1)
►
April
(4)
►
March
(10)
►
February
(12)
▼
January
(16)
रटी-रटाई प्रार्थना, सुना-सुनाया ज्ञानबोर किया भगवा...
मत उदास हो मेरे मन करो भोर का अभिनन्दन!काँटों का व...
जब तुमसे मिला मैं तो तुम खुशगवार झोंके सी लगी,तुम्...
प्रीति कविता ज़िन्दगी की गर्विता रानी नही हैमूक भा...
शुभ संध्या मित्रो..................ठोकरे खा के ही ...
तुम्ही तो हो प्रिय मेरे जीवन के आधार स्तंभ, हाँ तु...
यह मनुष्य योनी हमे क्यों मिली है ?यह मनुष्य योनी म...
jindgi ka falsafaa hum, kyu samajh nahi paye..kya ...
शुभ संध्या मित्रो..................ठोकरे खा के ही ...
रुके आँसू, दबी चीखें, बंधी मुट्ठी, भिंचे जबड़े-इन्...
"Successful People Can't Relax In Chairs…They Rel...
फैली खेतों में दूर तलक मख़मल की कोमल हरियाली, लिपट...
चिराग थे महफ़िलें थीं दोस्त हज़ार थेखवाब थे बेखुदी...
कुछ तो आगे इस गली के मोड़ पर आने को हैडर न, ऐ दिल!...
हर लम्हा ज़िंदगी का एक कोरा सफहा है, कूची ख्वाहिशो...
अरुण यह मधुमय देश हमारा।जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज क...
►
2011
(49)
►
December
(4)
►
July
(45)
►
2010
(64)
►
October
(13)
►
September
(1)
►
August
(30)
►
July
(1)
►
June
(16)
►
May
(1)
►
April
(2)
►
2009
(90)
►
October
(1)
►
June
(5)
►
May
(84)
►
2008
(1)
►
March
(1)
About Me
Ram K Khanna
Common man
View my complete profile
No comments:
Post a Comment