Saturday, January 21, 2012


शुभ संध्या मित्रो..................
ठोकरे खा के ही इंसा संभलता है,
और अपने वजूद में ढलता है,
जो गिरकर संभल न पाए वो इंसा ही क्या,
चीटी को भी गिर गिरके ही मुकाम मिलता है..

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