सागर की अपनी क्षमता है
पर माझी भी कब थकता है
जब तक साँसों में स्पन्दन है
उसका हाथ नहीं रुकता है
इसके ही बल पर कर डाले
सातों सागर पार
तूफानों की ओर घुमा दो
नाविक निज पतवार-
Monday, February 27, 2012
बदी भी नाम चाहती है इसी लिए बदनाम हो जाती है । होना बहुत जरूरी है और यदि कुछ नहीं होगा तो फसाना नहीं होगा । कोई फसाना न हुआ तो किस्से नहीं होंगे और यदि किस्से न हुए तो कुछ लोग नकारा हो जाएंगे । लोग नकारा हो गए तो TDP गिर जाएगी । TDP गिर गई तो सारा इल्जाम मुहब्बत करने वालों पर आ जाएगी । ऐसे में तो ज़िन्दगी नीरस हो जाएगी ! इस लिए फसाने बनने दो Dhanpat मगर मुहब्बत की राह मत छोड़ो ! मुहब्बत खुदा की इबादत है । तुम तो मुहब्बत बांटो और मुहब्बत का परचम फैराओ ताकि दुनिया आपके मुहब्बत का पैगाम थाम कर खूबसूरत बन जाए !
Thursday, February 23, 2012
मेरे मरने के बाद मेरे दोस्तों,
यूं आँसू कभी मत बहाना,
अगर मेरी याद आए तो,
सीधे उपर चले आना!!
रास्ता ना पता हो तो हमे बताना
हम तुम्हे लेने चले आएँगे
नही होगा तो गाड़ी भिजवाएँगे
तुम चिंता मत करना
अप्सरा का डॅन्स भी दिखवाएँगे
और भगवान से मेरी पूरी सेट्टिंग हैं
तुम्हारे रुके काम भी करवाएँगे
काफ़ी हैं इतना प्रलोभन
कि अभी और कुछ दिखाए....
कुछ और झूठ बोले तुम्हे फसाए
कर रहे हैं खुदा की मार्केट्टिंग
कमिशन तुम्हे भी दिलाए.......
यूं आँसू कभी मत बहाना,
अगर मेरी याद आए तो,
सीधे उपर चले आना!!
रास्ता ना पता हो तो हमे बताना
हम तुम्हे लेने चले आएँगे
नही होगा तो गाड़ी भिजवाएँगे
तुम चिंता मत करना
अप्सरा का डॅन्स भी दिखवाएँगे
और भगवान से मेरी पूरी सेट्टिंग हैं
तुम्हारे रुके काम भी करवाएँगे
काफ़ी हैं इतना प्रलोभन
कि अभी और कुछ दिखाए....
कुछ और झूठ बोले तुम्हे फसाए
कर रहे हैं खुदा की मार्केट्टिंग
कमिशन तुम्हे भी दिलाए.......
लीवर खराब होने के मुख्य कारण
देर से सोना और देर से उठना सबसे प्रमुख कारण है
सुबह उठ कर मूत्र-विसर्जन नहीं करना
बहुत अधिक खाना
सुबह का ब्रेकफास्ट नहीं करना
बहुत ज्यादा दवाई खाना
preservatives, additives, food coloring,व artificial sweetener युक्त पदार्थों का बहुत अधिक सेवन
खाना बनाए के लिए अच्छे तेल का इस्तेमाल नहीं करना.तेल का इस्तेमाल कम से कम करें चाहे तेल अच्छा भी क्यों न हो.जब थके हुए हों तब तले हुए पदार्थ न खाएं
एकदम कच्ची या बहुत अधिक पकी हुई सब्जियां खाना.तली हुई सब्जियों को ताज़ा बनते ही खा लें.उन्हें स्टोर कर के न रखें.
यह सब हम बिना अधिक खर्च के कर सकते हैं.एक अच्छी और स्वस्थ जीवन शैली अपना कर व खाने की अच्छी आदतों से .खाने की अच्छी आदतें और समय का ध्यान हमारे शरीर द्वारा अच्छे केमिकल्स को अवशोषित करने व खराब केमिकल्स से छुटकारा दिलाने में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं.
क्योंकि....
शाम के ९ बजे से ११ बजे तक--यह समय होता है antibody system (lymph nodes)(रोग-प्रतिकारक तंत्र ) में से हानिकारक रसायनों से मुक्त होने का .... इस समय पर कोई भी यदि आरामदायक स्थिति में नहीं है जैसे कुछ काम में लगा हुआ है तो इसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है...
रात ११ बजे से १ बजे तक-लीवर के detoxification (विषहरण) का समय है व इस समय पर गहरी निद्रा अवस्था में होना चाहिए..
देर से सोना और देर से उठना सबसे प्रमुख कारण है
सुबह उठ कर मूत्र-विसर्जन नहीं करना
बहुत अधिक खाना
सुबह का ब्रेकफास्ट नहीं करना
बहुत ज्यादा दवाई खाना
preservatives, additives, food coloring,व artificial sweetener युक्त पदार्थों का बहुत अधिक सेवन
खाना बनाए के लिए अच्छे तेल का इस्तेमाल नहीं करना.तेल का इस्तेमाल कम से कम करें चाहे तेल अच्छा भी क्यों न हो.जब थके हुए हों तब तले हुए पदार्थ न खाएं
एकदम कच्ची या बहुत अधिक पकी हुई सब्जियां खाना.तली हुई सब्जियों को ताज़ा बनते ही खा लें.उन्हें स्टोर कर के न रखें.
यह सब हम बिना अधिक खर्च के कर सकते हैं.एक अच्छी और स्वस्थ जीवन शैली अपना कर व खाने की अच्छी आदतों से .खाने की अच्छी आदतें और समय का ध्यान हमारे शरीर द्वारा अच्छे केमिकल्स को अवशोषित करने व खराब केमिकल्स से छुटकारा दिलाने में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण हैं.
क्योंकि....
शाम के ९ बजे से ११ बजे तक--यह समय होता है antibody system (lymph nodes)(रोग-प्रतिकारक तंत्र ) में से हानिकारक रसायनों से मुक्त होने का .... इस समय पर कोई भी यदि आरामदायक स्थिति में नहीं है जैसे कुछ काम में लगा हुआ है तो इसका स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है...
रात ११ बजे से १ बजे तक-लीवर के detoxification (विषहरण) का समय है व इस समय पर गहरी निद्रा अवस्था में होना चाहिए..
Wednesday, February 22, 2012
आज कल विचार ही नही आते
पता नही कहाँ चले गये हैं
ये मन को नही सहला पाते
कितनी बार सोचती हूँ
कुछ लिखू..लेकिन दिमाग़ साथ नही देता
दिल भी आज कल ....अपना नही रहा....
कोई आवाज़ नही देता...
पहले घूमाड़ते थे विचार..
झड़ी लग जाती थी...
नही होता था काग़ज़ कलम हाथ मे ...
मोबाइल के ड्राफ्ट मे ही नोट कर लेती थी
अब सब कुछ गोल सा हो गया हैं
कुछ नही सूझता....लगता हैं
विचारो ने अपना रास्ता बदल लिया हैं
क्या करे अब आप ही सुझाए
हो कोई नया रास्ता तो हमे भी बताए
हम अपने विचारो के साथ चलना चाहते हैं
साथ मे नया इतिहास भी रचना चाहते हैं
लेकिन जब विचार ही नही होगा मेरे पास
तो कौन देगा मेरा साथ.....
विचारो एक बार फिर आओ.....
मेरा साथ निभाओ...मत करो ऐसा
मैने हमेशा किया तुमपे भरोसा
आ भी जाओ.....मुझसे दूर ना जाओ..
पता नही कहाँ चले गये हैं
ये मन को नही सहला पाते
कितनी बार सोचती हूँ
कुछ लिखू..लेकिन दिमाग़ साथ नही देता
दिल भी आज कल ....अपना नही रहा....
कोई आवाज़ नही देता...
पहले घूमाड़ते थे विचार..
झड़ी लग जाती थी...
नही होता था काग़ज़ कलम हाथ मे ...
मोबाइल के ड्राफ्ट मे ही नोट कर लेती थी
अब सब कुछ गोल सा हो गया हैं
कुछ नही सूझता....लगता हैं
विचारो ने अपना रास्ता बदल लिया हैं
क्या करे अब आप ही सुझाए
हो कोई नया रास्ता तो हमे भी बताए
हम अपने विचारो के साथ चलना चाहते हैं
साथ मे नया इतिहास भी रचना चाहते हैं
लेकिन जब विचार ही नही होगा मेरे पास
तो कौन देगा मेरा साथ.....
विचारो एक बार फिर आओ.....
मेरा साथ निभाओ...मत करो ऐसा
मैने हमेशा किया तुमपे भरोसा
आ भी जाओ.....मुझसे दूर ना जाओ..
अजीब शय है ये 'दिल'
कभी आपने ,कभी खुद मैंने इसे बहलाना चाहा
अजीब शय है असलियत में कभी बहल न पाया
न जाने कौन सी मिट्टी से बना है हमारा ये 'दिल'
लाल,पीला,कत्थई,सुरमई हर रंग से इसे बेमेल ही पाया
पल भर को लगा सुकून मिला है इसे
अगले पल बेचैन ही पाया मैंने ये 'दिल' ....
अजीब शय है असलियत में कभी बहल न पाया
न जाने कौन सी मिट्टी से बना है हमारा ये 'दिल'
लाल,पीला,कत्थई,सुरमई हर रंग से इसे बेमेल ही पाया
पल भर को लगा सुकून मिला है इसे
अगले पल बेचैन ही पाया मैंने ये 'दिल' ....
सत्ता में रहने का कितना आनंद होता हैं....क्या नहीं हो सकता अगर सत्ता पास हो तो....ताजा तरीन उधाहरण देखिये......
१. कश्मीर में नेता ने अपने बेटे को नक़ल कराई..जिस से वो पास हो सके.
२. आन्ध्र में मंत्री ने बेटे की शादी के लिए...आखिरी क्षणों में परिक्षा केंद्र ही बदलवा दिया.....क्योकि उन्हे विवाह के लिए स्कूल चाहिए था...परीक्षार्थी अपने भविष्य के बारे में खुद सोचे...
३. पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अपनी बेटी के परिवार के लिए...छोटे हवाई जहाज A-319 की जगह A-320 चलवा दिया ...अपना राज हो तो क्या फरक पड़ता हैं...
४. युवराज.....को चुनाव प्रचार में कोई परेशानी ना हो....इसलिए चुनाव आयोग की ताकत कम करने का मन बना लिया.........
इसे कहते हैं ..सत्ता की ताकत ..कौन इस से दूर रहना चाहेगा....जो कहता हैं कि वो जनता की सेवा के लिए राजनीती में आता हैं ...वो शायद कुछ छुपा रहा हैं .....
१. कश्मीर में नेता ने अपने बेटे को नक़ल कराई..जिस से वो पास हो सके.
२. आन्ध्र में मंत्री ने बेटे की शादी के लिए...आखिरी क्षणों में परिक्षा केंद्र ही बदलवा दिया.....क्योकि उन्हे विवाह के लिए स्कूल चाहिए था...परीक्षार्थी अपने भविष्य के बारे में खुद सोचे...
३. पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल ने अपनी बेटी के परिवार के लिए...छोटे हवाई जहाज A-319 की जगह A-320 चलवा दिया ...अपना राज हो तो क्या फरक पड़ता हैं...
४. युवराज.....को चुनाव प्रचार में कोई परेशानी ना हो....इसलिए चुनाव आयोग की ताकत कम करने का मन बना लिया.........
इसे कहते हैं ..सत्ता की ताकत ..कौन इस से दूर रहना चाहेगा....जो कहता हैं कि वो जनता की सेवा के लिए राजनीती में आता हैं ...वो शायद कुछ छुपा रहा हैं .....
शाम उदास थी निशब्द थमी सी वैसे ही
जैसे जिंदगी आके किसी मोड़ पे थम गई हो
एक मोती चुपके से सीप में आके बैठ गया
जैसे रूठा हुआ अपना कोई छिप गया ओट में कहीं
लोग समंदर खगालाते रहे मोती की तलाश में
और वो सीप तले बैठा मुस्कुराता रहा
सोचता रहा की येही तो जीवन है
कभी धूप कभी छाव कभी आँख मिचोली
कुछ पाने की जद्दोजहद संग झूझता हर इंसान
जैसे जिंदगी आके किसी मोड़ पे थम गई हो
एक मोती चुपके से सीप में आके बैठ गया
जैसे रूठा हुआ अपना कोई छिप गया ओट में कहीं
लोग समंदर खगालाते रहे मोती की तलाश में
और वो सीप तले बैठा मुस्कुराता रहा
सोचता रहा की येही तो जीवन है
कभी धूप कभी छाव कभी आँख मिचोली
कुछ पाने की जद्दोजहद संग झूझता हर इंसान
Wednesday, February 8, 2012
जाओ जहाँ जाना है, अब तुम्हारी जरूरत नहीं
ये शब्द पारे सा पिघला गए उसके अंतर्मन को
यह घर जो घरोंदा था उसके बनाए ख्वाबों का
बनाया था जिसे अपने परिश्रम और त्याग से
यह घर, बच्चे, पति यहीं तो जिंदगी थे उसकी
इनके इर्द गिर्द ही तो बुना था ताना बाना उसने
सींचा था जिसे उसने स्नेह और अपनी निष्ठा से
आज एक ही पल में कैसे हो गया सब बेगाना
शायद सम्बन्ध सभी जरुरत की बलि चढ़ गए
जरुरत ख़त्म होते ही गिरा दिया नज़रो से अपनी
और सवाल करने का हक आज भी नहीं दिया
हक - वो तो बहुत पहले ही छीन चुका था उससे
जब कुंती ने कर्ण को लोकलाज कि खातिर त्यागा
सीता ने दी अग्नि परीक्षा और धरती में समाई वो
जयकार आई राम के हिस्से में, तब भी रही अनजान वो
उर्मिला बन लक्ष्मण की, विरह वेदना का दंश सहा उसने
द्रोपदी बन चोसर की बिसात पर नग्न हुई थी वो
अब तक तो अभ्यस्त हो जाना चाहिए था उसे
सवाल करने की तड़प से क्यों आज है व्यथित वो
जरुरत तक ही सीमित है अस्तित्व उसका
बात ये अब तक क्यों समझ ना पाई वो..
ये शब्द पारे सा पिघला गए उसके अंतर्मन को
यह घर जो घरोंदा था उसके बनाए ख्वाबों का
बनाया था जिसे अपने परिश्रम और त्याग से
यह घर, बच्चे, पति यहीं तो जिंदगी थे उसकी
इनके इर्द गिर्द ही तो बुना था ताना बाना उसने
सींचा था जिसे उसने स्नेह और अपनी निष्ठा से
आज एक ही पल में कैसे हो गया सब बेगाना
शायद सम्बन्ध सभी जरुरत की बलि चढ़ गए
जरुरत ख़त्म होते ही गिरा दिया नज़रो से अपनी
और सवाल करने का हक आज भी नहीं दिया
हक - वो तो बहुत पहले ही छीन चुका था उससे
जब कुंती ने कर्ण को लोकलाज कि खातिर त्यागा
सीता ने दी अग्नि परीक्षा और धरती में समाई वो
जयकार आई राम के हिस्से में, तब भी रही अनजान वो
उर्मिला बन लक्ष्मण की, विरह वेदना का दंश सहा उसने
द्रोपदी बन चोसर की बिसात पर नग्न हुई थी वो
अब तक तो अभ्यस्त हो जाना चाहिए था उसे
सवाल करने की तड़प से क्यों आज है व्यथित वो
जरुरत तक ही सीमित है अस्तित्व उसका
बात ये अब तक क्यों समझ ना पाई वो..
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