Wednesday, February 22, 2012

शाम उदास थी निशब्द थमी सी वैसे ही

जैसे जिंदगी आके किसी मोड़ पे थम गई हो

एक मोती चुपके से सीप में आके बैठ गया

जैसे रूठा हुआ अपना कोई छिप गया ओट में कहीं

लोग समंदर खगालाते रहे मोती की तलाश में

और वो सीप तले बैठा मुस्कुराता रहा

सोचता रहा की येही तो जीवन है

कभी धूप कभी छाव कभी आँख मिचोली

कुछ पाने की जद्दोजहद संग झूझता हर इंसान

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